बुधवार, २४ ऑगस्ट, २०११

janlokpal ani babasaheb

जन लोकपाल बाबा साहब के ' सामाजिक न्याय ' के सपनों को साकारने में निश्चित रूप से अहम भूमिका अदा करेगा .....................ये कोई कपोल कल्पित बात नहीं है , ये बात बिलुकल सत्य है कि आदरणीय बाबा साहब ने भारत में सामाजिक न्याय का सपना देखते हुए संविधान लि...खा था , लेकिन धीरे धीरे पूंजीवादियों के सरक्षण में कुछ भ्रष्ट अधिकारीयों ने इस सविधान में दिए गए कानून को अपने हिसाब से ढालना शरू किया , धीरे - धीरे यह निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों तक पहुच गया ,फिर तो इस देश में जैसे भष्टाचार कि आंधी सी चल पड़ी है .इस भष्टाचार का सबसे जायदा प्रभाव निचले तबके पर पड़ा .कारन यह कि साधन सम्पन्न लोग अपने स्तर को ऊँचा उठाने में भष्टाचार का सहारा लेने लगे और तेजी से पैसा कमाने लगे जिसके कारण देश में रूपये का अवमूल्यन आरम्भ हो गया .वाही निचले तबके के लोग इस भष्टाचार कि बीमारी से ज्यादा प्रभावित हुए क्योकि उनके पास भ्रष्ट अधिकारी एवम कर्मचरियों को देने के लिए कुछ भी नहीं है उन्हे अपना तथा अपने परिवार का पेट काटकर भष्टाचार को चढावा चढ़ाना पड़ता है 'मै एक वकील हू जो छोटी से छोटी अदालत ,जैसे तहसील अदालत जैसे में भी काम करना पसंद करता हू ,आप को ये जानकर अचरज होगा कि इन आदालतों में अधिकांशतय वकील कि जरूरत ही नहीं होती है ,वहां बाबुओ और दलालों पर ज्यादा भरोसा किया जाता है ,जबकि जब भी पैसे कि जरूरत होती है गाँव के किसी भी गरीब को किसी भी मामले चाहे वो पारिवारिक बटवारे का हो या आपसी झगड़े का उलझा दिया जाता है .फिर ऊँचे रुपयों से लेकर इज्जत और ज्मिन्तक का सौदा शरू हो जाता है ,जबकि बाबा साहब के धरा बनाये कानून में सरकार को यह अधिकार एवम कानून दिया गया था कि वह आमजन के हित में कार्य करे ,जिसकी धज्जियां उड़ाते हुए भ्रष्ट कर्मचारियों ने जनता को लुटाना शुरू किया ,यहाँ दिक्कत यह आई कि इन भ्रष्ट सरकारी कर्मचरियों पर अंकुश लगाने के लिए जो कानून है वो भी सरकार के आधीन है , यूनियन बाजी एवम भ्रष्ट नेताओं कि मिली भगत के कारण सविधान के विपरीत काम होना आम हो गया . सरकारी लोकपाल बिल साकार के द्वारा अपने भ्रष्ट कर्मचारियों के हित में बनाया गया है , इससे आम आदमी को खास कर निचले तबके को कोई राहत नहीं मिलने वाली है . जबकि जनलोक पाल बिल में में निचले स्तर के भष्टाचार को रोकने के लिए जवाबदेही तय कि गयी है .इसलिए यह कहा जा सकता है कि जन लोकपाल बिल बाबा साहेब के सामाजिक न्याय के सपने को साकार करने में ज्यादा सहायक सिद्ध होगा बशर्ते इसके लिए खुले दिल से सारे देश को आगे आने कि जरुरत है ,क्योकि ये याद रखना कि ट्रेफिक पुलिस को १००० रूपये देकर आप अपनी लाखों कि गाड़ी द्वारा कानून के उल्लघन को भूल सकते है कोय्की वह आप के एक घंटे कि कमाई है ,लेकिन मात्र १५१ या १०७ -१६ के झूठे केस मे भी १००० रूपये कि भेट पूजा ,( यह सबसे छोटा आकड़ा है ) एक २० रूपये रोज कमाने वाले को कितना मजबूर बना देता है इसे आप लोग शायद ही समझ पाएंगे ..

patrakarmitra

पत्रकार मित्रांनो , वानरापासून जसा नर निर्माण झाला तसा न्हावी  समाजापासून patrakar निर्माण झाला .  वानरापासून नर होण्या पर्यंत बरेच टप्पे आहेत जसे वानर ..हनुमान ... कृष्ण .. आजचा मानव. पत्रकारित देखील अन्येक टप्पे आहेत जसे न्हावी ... नारद ...प्रिंट मेडिया ....इलेक्ट्रोनिक्स मेडिया ...आजचा patrakar  . कालानुरूप आपल्या पूर्वजांचे महत्व जसे कमी होत चालले आहे तसे आपले देखील होऊ शकते .मानवाचे महत्व त्याच्यामधील मानवता कमी झाल्यामुळे ,पत्रकाराचे महत्व त्याचामधील पत्रकारिका लोप पावल्यामुळे होऊ शकते . कारण आपली पुढील आवृत्ती डिजिटल पत्रकारिता आ वासून उभी आहे.. हे सांगण्या माघचा उद्देश कोणाला कमी लेखणे नसून ,मानव आणि पत्रकारांनी आणखी प्रघ्ल्भापणे  विचार करणे हा आहे .